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कैसे कहें हम

कैसे कहें हम 

दरकते रिश्तों की कहानी , कैसे कहें हम ,
दर्द कितना अपनी जुबानी कैसे कहें हम ।

मिलते रहे है जो ग़म हमें अब तक ,
नहीं किसी की मेहरबानी कैसे कहें हम ।


कँहा को चले और पहुंचे कँहा हम ,
कॅहा ले आई जिन्दगानी कैसे कहें हम ।

अपनी इस बेकसी पर कितना तड़पे ,
और कितना बहा पानी कैसे कहें हम ।

यादों के उजालें रहें साथ - साथ ,
छोड़ कोई निशानी , कैसे कहें हम ।

जब चले जायें हम तो कह देना तुम ,
दुनियाँ है आनी जानी , कैसे कहे हम ।

गौतम वाशिष्ठ 
9636637075

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14 Comments

shweta soni

05-Sep-2022 04:18 PM

Behtarin rachana

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Abhinav ji

05-Sep-2022 09:32 AM

Nice

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Tariq Azeem Tanha

04-Sep-2022 11:26 PM

शानदार

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